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चंद्रशेखर आजाद का भारत की स्वतंत्रता में योगदान-शिवानी जैन एडवोकेट

जिला संवाददाता शिवानी जैन

चंद्रशेखर आजाद का भारत की स्वतंत्रता में योगदान-शिवानी जैन एडवोकेट

ऑल ह्यूमन सेव एंड फोरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि
भारत को आजाद कराने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी थी। उन्हीं महान स्वतंत्रता सेनानियों में एक नाम ‘चंद्रशेखर आजाद’ का है। इनका असली नाम चंद्रशेखर तिवारी था।
एक ऐसे युवा क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अपने देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते अपनी जान दे दी। उन्होंने ठान लिया था कि वे कभी भी अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे और अंग्रेजों की गुलामी की हुकूमत से खुद को आखिरी सांस तक आजाद रखा।
थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा कि जलियांवाला बाग कांड के दौरान आजाद बनारस में पढ़ाई कर रहे थे। इस घटना ने बचपन में ही चंद्रशेखर को अंदर से झकझोर दिया था। उसी दौरान उन्होंने ठान ली थी कि वह ईंट का जवाब पत्थर से देंगे।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, डॉ मनीष जैन, डॉ आरके शर्मा, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी, संरक्षक एडवोकेट आलोक मित्तल, एडवोकेट ज्ञानेंद्र चौधरी , शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन आदि ने कहा कि जब जज ने उनसे उनका नाम पूछा , तो उन्होंने अपना नाम आजाद और अपने पिता का नाम स्वतंत्रता बताया। इस बात से जज काफी नाराज हो गया और चंद्रशेखर को 15 कोड़े मारने की सजा सुनाई।
किसी के सामने झुकना मंज़ूर नहीं था।फिर भले ही जो हो जाए। माफ़ी मांगना तो दूर, आज़ाद लड़का तो हर कोड़े के बाद ‘वन्दे मातरम’ का नारा बुलंद करने लगा।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफचंद्रशेखर आजाद का भारत की स्वतंत्रता में योगदान-शिवानी जैन एडवोकेट ऑल ह्यूमन सेव एंड फोरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि भारत को आजाद कराने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी थी। उन्हीं महान स्वतंत्रता सेनानियों में एक नाम 'चंद्रशेखर आजाद' का है। इनका असली नाम चंद्रशेखर तिवारी था। एक ऐसे युवा क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अपने देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते अपनी जान दे दी। उन्होंने ठान लिया था कि वे कभी भी अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे और अंग्रेजों की गुलामी की हुकूमत से खुद को आखिरी सांस तक आजाद रखा। थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा कि जलियांवाला बाग कांड के दौरान आजाद बनारस में पढ़ाई कर रहे थे। इस घटना ने बचपन में ही चंद्रशेखर को अंदर से झकझोर दिया था। उसी दौरान उन्होंने ठान ली थी कि वह ईंट का जवाब पत्थर से देंगे। मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, डॉ मनीष जैन, डॉ आरके शर्मा, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी, संरक्षक एडवोकेट आलोक मित्तल, एडवोकेट ज्ञानेंद्र चौधरी , शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन आदि ने कहा कि जब जज ने उनसे उनका नाम पूछा , तो उन्होंने अपना नाम आजाद और अपने पिता का नाम स्वतंत्रता बताया। इस बात से जज काफी नाराज हो गया और चंद्रशेखर को 15 कोड़े मारने की सजा सुनाई। किसी के सामने झुकना मंज़ूर नहीं था।फिर भले ही जो हो जाए। माफ़ी मांगना तो दूर, आज़ाद लड़का तो हर कोड़े के बाद ‘वन्दे मातरम’ का नारा बुलंद करने लगा। शिवानी जैन एडवोकेट डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ

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